Hello दोस्तों,
स्वागत है आपका फिर से,
आज हम बात कर रहे हैं कार्य, शक्ति और ऊर्जा (Work, Power and Energy) के विषय में,
सबसे पहले यदि आपने पिछली तीन पोस्ट नही पढ़ी है तो उन्हें आप पहले पढ़ ले..
अब तीनों टॉपिक्स को अलग अलग समझेंगे-
■ कार्य (Work):- जब वस्तु पर कोई बल लगाया जाता है तथा बल लगाने पर बल की दिशा में वस्तु कुछ विस्थापित हो जाये तो इसे कार्य कहते हैं
कहने का अर्थ है जब बस्तु पर लगाया गया बल उसकी स्थिति में परिवर्तन कर दे तो इसका मतलब उस वस्तु पर कार्य किया गया है
उदाहरण- कुएं से पानी खींचना, हाथ से ईंट उठाना आदि
कार्य , बल और बल की दिशा में वस्तु के विस्थापन के गुणनफल के बराबर होता है
[ कार्य= बल× बल की दिशा में विस्थापन]
W= f×s
इसे कही कही w=f. d भी पढ़ते हैं
यहां-
W= Work मतलब कार्य,
F= force मतलब बल,
S= displacement मतलब विस्थापन
यहां पर विस्थापन को ∆s से denote करते हैं
∆s= अंतिम स्थिति-प्रथम स्थिति
W=F×∆s
● यदि बल F, पिंड के विस्थापन की दिशा में न होकर उससे θ कोण बना रहा हो तब किया गया कार्य-
W= Fcosθ×∆s
Figure देखे-
महत्वपूर्ण बिंदु-
• कार्य एक अदिश राशि है,
• कार्य का मात्रक जूल(Joule) है इसे J से प्रदर्शित करते हैं,
• 1 जूल= 1 न्यूटन× 1 मीटर 【 1 न्यूटन का बल किसी पिंड को बल की दिशा में 1 मीटर विस्थापित कर दे तो किया गया कार्य 1 जूल होगा】
• S I मात्रक- जूल,
CGS मात्रक- अर्ग,
MKS मात्रक- न्यूटन-मीटर
• जब किसी वस्तु पर एक डाइन बल लगाकर 1 सेमी विस्थापित कर दे तो कार्य= 1 अर्ग
1 अर्ग= 1 डाइन× 1 सेमी
• 1 न्यूटन= 105 डाइन
• 1 जूल = 1 न्यूटन × 1 मीटर
1 जूल = 105 डाइन× 102 सेमी
1 जूल= 107 डाइन×सेमी
1 जूल= 107 अर्ग
•विमीय सूत्र- 【M L2 T-2 】
कार्य के प्रकार-
कार्य मुख्यता तीन प्रकार के होते हैं:-
A. धनात्मक कार्य
B. ऋणात्मक कार्य
C. शून्य कार्य
जब किसी वस्तु पर लगाया गया बल और बल की दिशा में हुए विस्थापन के बीच के कोण θ का मान 0°-90° के बीच हो, तब कार्य धनात्मक कहलायेगा (90° से कम हो, 0° पर अधिकतम होता है)
उदाहरण- कुली द्वारा वजन उठाना आदि
■ ऋणात्मक कार्य- जब किसी वस्तु को खुरदुरे धरातल पर खींचा जाता है तब घर्षण बल तथा विस्थापन परस्पर विपरीत दिशा में होते हैं तब घर्षण बल द्वारा बस्तु पर किया गया कार्य ऋणात्मक होगा, जब वस्तु की विस्थापन की विपरीत दिशा में बल लगाया जाता है तो कार्य ऋणात्मक होगा !
जब किसी वस्तु पर लगाया गया बल एवं बल की दिशा में हुए विस्थापन के बीच का कोण θ का मान 90°-270° के बीच है तो किया गया कार्य ऋणात्मक होगा (180° पर अधिकतम ऋणात्मक)
उदाहरण- वस्तु ऊपर की दिशा में फेंकी जाती है तो गुरुत्व बल द्वारा किया गया कार्य ऋणात्मक होता है
■ शून्य कार्य- यदि वस्तु पर लगने वाला बल उसके विस्थापन की दिशा के विपरीत हो तब कार्य शून्य होगा
यदि कोई व्यक्ति एक दीवार को धकेलता है तथा दीवार विस्थापित न हो तो कार्य शून्य होगा ,
यदि बल व विस्थापन परस्पर लम्बवत हो तो किया गया शून्य होता है
θ= 90°, W= Fcosθ×∆s
W= cos 90×∆s
W=0×∆s
W=0
■ शक्ति अथवा सामर्थ्य (Power)- किसी वस्तु/मशीन/व्यक्ति की कार्य करने की दर को उस वस्तु की ऊर्जा कहते हैं अर्थात इकाई समय मे किये गए कार्य को शक्ति अथवा सामर्थ्य कहते हैं
【 शक्ति= कार्य/समय 】
यदि कोई कर्ता t सेकंड में W कार्य करता है तब उसकी शक्ति (Power)-
P= W/t
यह एक अदिश राशि है,
यदि 1 जूल कार्य 1 सेकंड में होता है तो शक्ति 1 वाट होगी,
1 वाट =1 जूल/ सेकंड
इसका SI मात्रक- जूल/सेकंड या वाट है
इसका एक मात्रक "अश्व शक्ति (Horse Power)" भी है
1 अश्व शक्ति (hp)= 746 वाट
CGS मात्रक-अर्ग/सेकंड होता है
विमीय सूत्र-【ML2 T-3 】होता है
1 वाट घण्टा= 3600 जूल
1 किलोवाट-घण्टा= 3.6×106 जूल
■ ऊर्जा (Energy)- किसी वस्तु की कार्य करने की क्षमता को उस वस्तु की ऊर्जा कहते हैं
ऊर्जा एक अदिश राशि है तथा इसका मात्रक जूल है
ऊर्जा के प्रकार-
ऊर्जा अनेक रूपों में होती है क्योकि उसे एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है-
a. यांत्रिक ऊर्जा
b. रासायनिक ऊर्जा
c. विद्युत ऊर्जा
d. उष्मीय ऊर्जा
e. तापीय ऊर्जा
f. परमाणु ऊर्जा
g. विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा
h. ध्वनि ऊर्जा
i. गुरुत्वाकर्षण ऊर्जा
j. आयनीकरण ऊर्जा
k. सौर ऊर्जा
l. पवन ऊर्जा
★ यांत्रिक ऊर्जा (Mechanical Energy)- किसी वस्तु में विद्यमान गतिज ऊर्जा व स्थितिज ऊर्जा के योग को यांत्रिक ऊर्जा कहते हैं
यांत्रिक ऊर्जा=गतिज ऊर्जा+स्थितिज ऊर्जा
◆ गतिज ऊर्जा (Kinetic Energy)- किसी वस्तु की गति के कारण उत्पन्न ऊर्जा को गतिज ऊर्जा कहते हैं
K.E.= ½ mv2
उदाहरण- बंदूक से गोली का चलना
◆ स्थितिज ऊर्जा (Potential Energy)- किसी वस्तु में उसकी स्थिति अथवा विकृत अवस्था के कारण जो ऊर्जा होती है उसे स्थितिज ऊर्जा कहते हैं
P. E.=mgh
m= द्रव्यमान, v= वेग, g= गुरुत्वीय त्वरण,h=ऊंचाई
उदाहरण- तनी हुई धनुष में, बांध में रुका पानी , दबी हुई या खींची हुई स्प्रिंग में संग्रहित ऊर्जा आदि
★ रासायनिक ऊर्जा (Chemical Energy)- वो ऊर्जा जो रासायनिक यौगिकों (अणु और परमाणुओं) के बंधन में संग्रहित होती है रासायनिक ऊर्जा कहलाती है
★ विद्युत ऊर्जा ( Electrical Energy)-
जो ऊर्जा किसी विद्युत आवेश से युक्त होती है वह विद्युत ऊर्जा कहलाती है
★ उष्मीय ऊर्जा ( Thermal Energy)-
जब किसी निकाय और उसके चारों ओर के परिवेश के मध्य के तापमान में अंतर होता है तब ऊर्जा का आदान प्रदान होने लगता है तो वह उष्मीय ऊर्जा के रूप में होता है
★ तापीय ऊर्जा (Thermal Energy)-
वह ऊर्जा होती है जिसे पृथ्वी में संग्रहित ताप से निकाला जाता है इसे तापीय या भूतापीय ऊर्जा कहते हैं इसके लिये बड़े बड़े संयंत्र लगाए जाते है
★ परमाणु ऊर्जा (Atomic Energy)-
इसे नाभिकीय ऊर्जा (Nuclear Energy) भी कहते हैं क्योकि यह परमाणु के नाभिक से प्राप्त होती है यह दो प्रकार से प्राप्त होती है-
• जब कोई भारी नाभिक दो या दो से अधिक हल्के नाभिकों में टूटता है तब उसे नाभिकीय विखंडन कहते हैं,तब ऊर्जा मुक्त होती है
• जब कोई दो नाभिक मिलकर एक भारी नाभिक का निर्माण करते हैं तब उसे नाभिकीय संलयन कहते हैं तब ऊर्जा निकलती है
★ विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा ( Electromagnetic Energy)-
चुम्बकीय ऊर्जा ,चुम्बकीय क्षेत्र से सम्बंधित ऊर्जा है
★ ध्वनि ऊर्जा (Sound Energy)-
जब कोई वस्तु कपन्न करती है तो ध्वनि पैदा होती है इन तरंगों से पैदा होने वाली ऊर्जा को ध्वनि ऊर्जा कहते हैं
★ गुरुत्वाकर्षण ऊर्जा (Gravitational Energy)-
गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में किसी वस्तु पर लगने वाली ऊर्जा गुरुत्वाकर्षण ऊर्जा कहलाती है
★ आयनीकरण ऊर्जा ( Ionization Energy)-
एक गैसीय परमाणु या आयन से एक इलेक्ट्रान को निकालने के लिए आवश्यक ऊर्जा को आयनीकरण ऊर्जा कहते हैं
★ सौर ऊर्जा (Solar Energy)-
प्रकृति में ऊर्जा का मुख्य स्रोत सूर्य है, अतः सूर्य से प्राप्त होने वाली ऊर्जा को सौर ऊर्जा कहते हैं यह विकिरण के रूप में आती है
★ पवन ऊर्जा (Wind Energy)-
बहती वायु से उत्पन्न की गई ऊर्जा को पवन ऊर्जा कहते हैं इसके लिए बड़ी बड़ी पवन चक्की लगाई जाती है जिससे ऊर्जा उत्पन्न की जाती है
ऊर्जा को न उत्पन्न किया जा सकता है न ही नष्ट किया जा सकता है बस एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है इसे ऊर्जा संरक्षण का सिद्धांत कहते हैं !
कुछ उदाहरण ( Important)-
■ डायनेमो- यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में
■ विद्युत मोटर- विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में
■ सोलर सेल- सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में
■ बैटरी- रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में
■ माइक्रोफोन- ध्वनि ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में
■ लाउडस्पीकर- विद्युत ऊर्जा को ध्वनि ऊर्जा में
धन्यवाद,
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