Hello दोस्तों,
स्वागत है आपका फिर से,
अगर आपने पिछले तीन चार दिन के टॉपिक नही पढ़े तो उन्हें पहले पढ़ ले..
आज हम बात कर रहे हैं गुरुत्वाकर्षण (Gravitation) की….
सर आइज़क न्यूटन ने सन् 1686 ई. में बताया कि ब्रह्मांड का प्रत्येक कण दुसरे कण को अपनी ओर आकर्षित करता है गुरुत्वाकर्षण पदार्थों द्वारा एक-दूसरे की ओर आकर्षित होने की प्रवृत्ति है आइज़क न्यूटन ने यह अवधारणा पेड़ से सेब को नीचे गिरते देखकर दी थी
कणों के बीच कार्य करने वाले आकर्षण को गुरुत्वाकर्षण तथा उससे उत्पन्न बल को गुरुत्वाकर्षण बल कहते है इस पर न्यूटन ने एक सिद्धांत भी दिया जिसे गुरुत्वाकर्षण का सार्वत्रिक नियम / न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण नियम कहते हैं इसे गुरुत्वाकर्षण का प्रतिलोम वर्ग नियम भी कहते हैं
गुरुत्वाकर्षण का सार्वत्रिक नियम (Universal law of Gravitation)-
इस नियम को सर आइज़क न्यूटन ने ही दिया था,
इस नियम के अनुसार-
"ब्रह्मांड में किन्ही दो पिंडो के बीच कार्य करने वाला आकर्षण बल पिंडो के द्रव्यमानों के गुणनफल के समानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है तथा इस बल की दिशा पिंडो को मिलाने वाली रेखा के अनुदिश होती है"
माना दो कण जिनके द्रव्यमान m1 व m2 है, एक दूसरे से r दूरी पर स्थित है ! यदि उनके बीच कार्य करने वाला आकर्षण बल F है तो गुरुत्वाकर्षण के नियमानुसार-
Fα m1 m2 / r2
F=G m1m2/r2
•G यहां "गुरुत्वाकर्षण स्थिरांक" है •G= 6.67×10-11 न्यूटन-मीटर2 /किग्रा2
गुरुत्वाकर्षण का महत्व-
1. गुरुत्वाकर्षण वह आकर्षण बल है जिससे पृथ्वी किसी वस्तु को अपने केंद्र की ओर खींचती है पृथ्वी के गुरुत्व के कारण ही पृथ्वी पर वायुमंडल उपस्थित है
2.गुरुत्वाकर्षण के कारण ही हम लोग पृथ्वी पर चल पाते हैं
3. पृथ्वी पर चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव के कारण ज्वार-भाटा आता है
गुरुत्वीय त्वरण-
किसी वस्तु पर गुरुत्व बल के कारण जो त्वरण उत्पन्न होता है उसे गुरुत्वीय त्वरण कहते हैं
गुरुत्वीय बल हमेशा पृथ्वी केंद्र की ओर आकर्षित करता है
इसके 'g' प्रदर्शित करते हैं इसका मान 9.8m/sec2 होता है
पृथ्वी का गुरुत्वीय त्वरण ,मुक्त रूप से पृथ्वी की ओर गिरती किसी वस्तु के वेग में 1 सेकंड में होने वाली वृद्धि है
गुरुत्वीय त्वरण का सूत्र या G व g में सम्बन्ध-
माना पृथ्वी का द्रव्यमान Me तथा त्रिज्या Re है, माना कोई वस्तु जिसका द्रव्यमान m है वह पृथ्वी के तल पर मौजूद हैं तब पृथ्वी द्वारा वस्तु पर लगाया गया आकर्षण बल-
F=G Me m/Re2
न्यूटन के गति के दूसरे नियम से- F=mg से
g= F/m
g= G Me m/Re 2 /m
g= G Me /Re2
G=6.67×10-11 N.M/Kg2
Mass of Earth (Me)- 6×1024kg
Radii of Earth (Re)- 6.4×106 मीटर
महत्वपूर्ण तथ्य-
1.चंद्रमा पर गुरुत्वीय त्वरण का मान पृथ्वी के गुरुत्वीय त्वरण के मान का ⅙ होता है
2.पृथ्वी तल से नीचे या ऊपर जाने पर g का मान घटता है
3.g का मान विषुवत रेखा पर न्यूनतम तथा ध्रुवों पर सबसे अधिक होता है
4.पृथ्वी की घूर्णन गति बढ़ने पर g का मान कम हो जाता है तथा घटने पर g का मान बढ़ जाता है
5.पृथ्वी के केंद्र पर g का मान शून्य हो जाता है
भार तथा द्रव्यमान- जिस बल द्वारा पृथ्वी किसी वस्तु को अपने केंद्र की ओर खींचती है, वस्तु का भार कहलाता है तथा द्रव्यमान किसी वस्तु में द्रव्य अथवा पदार्थ की मात्रा है !
किसी वस्तु का द्रव्यमान ब्रह्मांड के हर कोने में समान रहता है बस भार बदलता रहता है वह w=mg पर निर्भर करता है जितना गुरुत्वीय त्वरण होगा उतना उसका भार हो जाएगा जैसे पृथ्वी का गुरुत्वीय त्वरण 9.8m/sec2 है चंद्रमा पर ⅙ है पृथ्वी का 9.8/6= 1.65m/sec2
पलायन वेग (Escape Velocity)-पलायन वेग वह न्यूनतम वेग है जिससे किसी पिंड को पृथ्वी की सतह से ऊपर फेंके जाने पर वह धरती के गुरुत्वीय क्षेत्र को पार कर जाये तथा वापिस लौटकर पृथ्वी पर न आये !
इसका मान हर ग्रह/पिंड पर अलग अलग है
पृथ्वी पर इसका मान 11.2km/sec होता है
Ve = √ 2gRe
•पलायन वेग,कक्षीय वेग का √2 गुना होता है
•चंद्रमा का पलायन वेग 2.38km/sec होता है,
ग्रहों की गति सम्बन्धी कैपलर के नियम-
कैपलर ने ग्रहों की गति के सम्बंध में तीन नियम प्रतिपादित किये -
★ प्रथम नियम: कक्षाओं का नियम- सभी ग्रह सूर्य के चारों और दीर्घ वृत्ताकार कक्षाओं में परिक्रमण करते हैं तथा सूर्य फोकस पर होता है !
★ द्वितीय नियम: क्षेत्रफलीय चाल का नियम- किसी भी ग्रह को सूर्य से मिलाने वाली रेखा समान समयान्तरालों में समान क्षेत्रफल पार करती है अर्थात ग्रह की क्षेत्रफलीय चाल नियत रहती है !
★ तृतीय नियम: परिक्रमणकालों का नियम- किसी भी ग्रह का सूर्य के चारों और परिक्रमण काल का वर्ग, उसकी दीर्घवृत्ताकार कक्षा के अर्द्धदीर्घ अक्ष की तृतीय घात के अनुक्रमानुपाती होता है !
T2 α a3
ग्रह और उपग्रह (Planet and Setellites)- आकाश में सूर्य के चारो और कुछ पिंड अपनी-अपनी कक्षाओं में परिक्रमण करते रहते हैं इन पिंडो को ग्रह कहते हैं प्रत्येक ग्रह के चारो ओर कुछ आकाशीय पिंड परिक्रमण करते रहते हैं जिन्हें उपग्रह कहते हैं
कुछ उपग्रह कृत्रिम भी होते हैं जो पृथ्वी के साथ-साथ चक्कर लगा रहे ...पृथ्वी का एक प्राकृतिक उपग्रह है-चंद्रमा, बुध व शुक्र का कोई उपग्रह नही है मंगल के दो उपग्रह है डीमोस व फोबोस इस पर विस्तृत चर्चा हम अलग से करेंगे.!!
धन्यवाद
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