नमस्कार दोस्तों,
स्वागत है एक बार फिर से ,
आज हम बात कर रहे हैं दर्पण और लेंस के विषय में,
दर्पण (Mirror)-जब किसी पारदर्शी शीशे की एक सतह पर सिल्वर नाइट्रेट या पारे की कलई कर दी जाती है तो वह दर्पण कहलाता है
दर्पण मुख्यता तीन प्रकार के होते हैं-
1. समतल दर्पण
2. उत्तल दर्पण
3. अवतल दर्पण
★ समतल दर्पण (Plane Mirror)-
जिस दर्पण के दोनो तल सपाट हो समतल दर्पण कहलाता है
उपयोग- श्रंगार करने में
★ उत्तल दर्पण (Convex Mirror)-
जिस गोलीय दर्पण की परावर्तक सतह उभरी होती है उसे उत्तल दर्पण कहते हैं इसे अपसारी दर्पण भी कहते हैं
प्रयोग- गाड़ी में चालक की सीट के पीछे के दृश्य देखने मे, वाहन के साइड mirror, सोडियम लैंप में आदि
★ अवतल दर्पण (Concave Mirror)-
जिस गोलीय दर्पण की परावर्तक सतह धंसी रहती है उसे अवतल या अभिसारी दर्पण कहा जाता है
प्रयोग- दाढ़ी बनाने में, कुकर में, आंख व कान के डॉक्टरों द्वारा, गाड़ी की हेडलाइट में आदि
Imp fact-
● उत्तल दर्पण से बना प्रतिबिंब वस्तु से छोटा, सीधा एवं आभासी होता है जबकि अवतल दर्पण से बना प्रतिबिम्ब बड़ा व वास्तविक होता है
● समतल दर्पण में प्रतिबिम्ब का आकार वस्तु के बराबर होता है यदि समतल दर्पण में पूरा प्रतिबिम्ब देखना हो तो दर्पण की लंबाई वस्तु की आधी होनी चाहिए
महत्वपूर्ण सूत्र-
1. F= ½ r
2. 1/F= 1/u+ 1/v
F= फोकस दूरी, u= वस्तु की दूरी, v= प्रतिबिम्ब की दूरी
3. रेखीय आवर्धन m=-v/u
लेंस (Lens)-
दो गोलीय या एक गोलीय एवं समतल सतह से बने शीशे के प्रकाशिक यंत्र को लेंस कहते हैं
लेंस मुख्यता दो प्रकार के होते हैं-
1. उत्तल लेंस/अभिसारी लेंस
2. अवतल लेंस/अपसारी लेंस
★ उत्तल लेंस- ऐसा लेंस जिसकी मध्य की सतह उभरी होती है इस पर पड़ने वाली किरणे सदैव किसी एक बिंदु पर मिलती है
प्रयोग- कैमरा में, दूरदृष्टि दोष निवारण में, दूरदर्शी यंत्रों में आदि
★ अवतल लेंस- ऐसा लेंस जिसके दोनो सतह अंदर की ओर धंसी होती है इन पर पड़ने वाली किरणे सदैव एक बिंदु से आती हुई प्रतीत होती है
प्रयोग- निकट दृष्टि दोष निवारण में
Imp. Fact-
● लेंस की क्षमता का मात्रक डायोप्टर होता है
● पानी और कांच में वायु का बुलबुला अवतल लेंस की तरह व्यवहार करता है
Formula-
1/F= 1/V- 1/U
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