प्रकाश (Light)- प्रकाश एक प्रकार की ऊर्जा है जो विद्युत चुम्बकीय तरंगों के रूप में संचरित होती है अर्थात यह एक स्थान से दूसरे स्थान तक तरंगों के रूप में चलता है प्रकाश के कारण ही हमें वस्तुएं दिखाई देती है जब प्राकृतिक या कृत्रिम प्रकाश वस्तु पर डाला जाता है और वह लौटकर रेटिना तक आता है तब संवेदना होती है
● यह एक अनुप्रस्थ तरंग होती है
● यह दो प्रकार का होता है एक तो प्राकृतिक अर्थात सूर्य या तारे से प्राप्त और एक कृत्रिम जैसे-टॉर्च, मोमबत्ती आदि से प्राप्त होने वाला प्रकाश
● प्रकाश के वेग की गणना सबसे पहले रोमर ने की थी
● प्रकाश की तरंगदैर्ध्य 4000A° -7800A° तक होती है जोकि द्रश्यमान तरंग है
कुछ महत्वपूर्ण गुण-
1. प्रकाश तरंग के रूप में चलता है
2. प्रकाश अयान्त्रिक तरंग होता है
3. प्रकाश निर्वात में भी चल सकता है
4. प्रकाश सीधी रेखा में चलता है
5. प्रकाश तरँगे ध्रुवण की घटना प्रस्तुत करती है
प्रकाश के स्त्रोत-
इसके मुख्यता तीन स्त्रोत है-
■ प्राकृतिक स्त्रोत- सूर्य ,तारा आदि
■ कृत्रिम स्त्रोत- मोमबत्ती,टॉर्च आदि
■ जैव स्त्रोत- जुगनू
चाल- इसकी चाल माध्यम के अपवर्तनांक पर निर्भर करती है जिसका अधिक होगा चाल कम होगी कुछ माध्यम में चाल-
निर्वात- 3×108 m/sec
पानी- 2.25×108 m/sec
तारपीन का तेल- 2.04×108 m/sec
कांच- 2×108 m/sec
नाइलॉन- 1.96×108 m/sec
प्रकाश की प्रकृति- प्रकाश की दोहरी (द्वैती/Dual) प्रकृति होती है अर्थात में कण (फोटोन) और तरंग दोनो के गुण विद्यमान रहते हैं कुछ घटनाओं में प्रकाश कणों के समान व्यवहार करता है और कुछ घटनाओं में तरंग के समान कार्य करता है
★ तरंग के रूप में- परावर्तन, अपवर्तन, सीधी रेखा में गमन, विवर्तन, व्यतिकरण और ध्रुवण आदि
★ कण (फोटोन) के रूप में- प्रकाश वैद्युत प्रभाव तथा क्राम्पटन प्रभाव
प्रकाश के आधार पर वस्तुएं-
1.प्रदीप्ति-जो स्वयं के प्रकाश के प्रकाशित होती है
उदाहरण- सूर्य ,तारा, बल्ब ,मोमबत्ती आदि
2. अप्रदीप्ति- जो स्वयं के प्रकाश से प्रकाशित नही होती बल्कि प्रकाश पड़ने से दिखाई देती है
उदाहरण- कुर्सी ,मेज, चटाई आदि
3. पारदर्शक- जिसमें प्रकाश आरपार निकल जाता है पारदर्शक कहलाती है
उदाहरण- कांच
4. अपारदर्शक- जिसमे प्रकाश बाहर नही निकल सकता अपारदर्शक कहलाती है
उदाहरण- धातु, जमीन, किताब आदि
5. अर्द्ध पारदर्शक- जिसमे प्रकाश का कुछ अंश बाहर निकल जाता है
उदाहरण- तेल से भीगा कागज, पतली प्लास्टिक आदि
फोटोन (Photon)- प्रकाश की कण प्रकृति के अनुसार, प्रकाश ऊर्जा के छोटे-छोटे बंडलों/पैकेटों के रूप में चलता है जिन्हें फोटोन कहते हैं
प्रमुख सिद्धांत-
■ प्रकाश का कणिका सिद्धांत-न्यूटन
■ प्रकाश का तरंग सिद्धांत-हाइगेन्स
■ प्रकाश का क्वांटम सिद्धांत-प्लांक
■ विद्युत चुम्बकीय सिद्धांत-आइंस्टीन
■ विवर्तन सिद्धांत-ग्रेमाल्डी
प्रकाश के मुख्य गुण-
1.प्रकाश का अपवर्तन (Refraction Of Light)-
जब प्रकाश की किरण एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाती है तो वह अपने मार्ग से विचलित हो जाती है यह घटना "प्रकाश का अपवर्तन" कहलाती है
वह पदार्थ/माध्यम के अपवर्तनांक पर निर्भर करता है
प्रकाश का अपवर्तन दो नियमो के अनुसार होता है-
(1). आपतित किरण, अपवर्तित किरण तथा आपतन बिंदु पर अभिलम्ब तीनो एक ही तल में होते हैं
(2). अपवर्तन की घटना में आपतन कोण की ज्या (Sin i) तथा अपवर्तन कोण की ज्या (Sin r) का अनुपात एक नियतांक होता है जिसे एक माध्यम के सापेक्ष दूसरे माध्यम का अपवर्तनांक कहते हैं
Sin i/ Sin r=नियतांक
इस नियम को स्नैल का नियम कहते हैं
अपवर्तनांक= निर्वात में प्रकाश की चाल/ माध्यम में प्रकाश की चाल
● लाल रंग का अपवर्तनांक सबसे कम तथा बैगनी रंग का अपवर्तनांक सबसे अधिक होता है
कुछ पदार्थो का अपवर्तनांक-
★ बर्फ- 1.31
★ ऐल्कोहॉल-1.36
★ कैरोसिन तेल- 1.44
★ नमक- 1.54
★ तारपीन का तेल- 1.47
★ रूबी- 1.77
उदाहरण- तारे का टिमटिमाना, पानी भरे पात्र में कांच की छड़ टेढ़ी दिखना, तालाब में मछली का ऊंचा दिखना आदि
2. प्रकाश का परावर्तन (Reflection Of Light)-
जब प्रकाश की किरण किसी चिकने पृष्ठ से टकराकर उसी माध्यम में वापिस लौट जाती है तो उसे प्रकाश का परावर्तन कहते हैं
आपतन किरण, आपतन बिंदु पर अभिलम्ब तथा परावर्तित किरण तीनो एक ही तल में होते हैं
★ आपतन को सदैव परावर्तन कोण के बराबर होता हैप्रकाश का पूर्ण आंतरिक परावर्तन- प्रकाश की किरण के सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाने पर यदि आपतन कोण का मान क्रान्तिक कोण से अधिक अधिक कर दिया जाए तो माध्यमों को अलग करने करने वाले पृष्ठ से पूर्ण रूप से परावर्तित होकर उसी माध्यम में लौटने की घटना को पूर्ण आंतरिक परावर्तन कहते हैं
उदाहरण- हीरे का चमकना, पानी के बुलबुले का चमकीला दिखना, पानी के अंदर कांच का चमकना, गर्मी के दिनों में मृग मरीचिका का निर्माण आदि
क्रान्तिक कोण (Critical Angle)- क्रान्तिक कोण सघन माध्यम में वह आपतन कोण है जिसके लिए विरल माध्यम में अपवर्तन कोण 90° होता है
3. प्रकाश का विवर्तन (Diffraction of light)-
अवरोध अथवा छिद्र के तीक्ष्ण किनारों पर प्रकाश के आंशिक रूप से मुड़ने को "विवर्तन" कहते हैं
जब प्रकाश की किरणें किसी ऐसे माध्यम से टकराती है जो बेहद छोटा होता है तो किरणें अपनी रेखीय संचरण से हटकर भिन्न दिशाओं में घूम जाती है इसे विवर्तन कहते हैं
उदाहरण- CD/DVD का रंगीन दिखना
4. प्रकाश का व्यतिकरण (Interference of Light)-
जब दो प्रकाश की तरंगे एक ही दिशा में चलती है तो उनके अध्यारोपण से कुछ स्थानों पर तीव्रता बढ़ जाती है तथा कुछ स्थानों पर शून्य हो जाती है इस घटना को व्यतिकरण कहते हैं
●जिस बिंदु पर तीव्रता अधिकतम होती है उसे संपोषी व्यतिकरण कहते हैं
● जिस बिंदु पर निम्नतम या शून्य होती है उसे विनाशी व्यतिकरण कहते हैं
उदाहरण- साबुन के बुलबुले का रंगीन दिखना, तितली के पंखों का रंगीन दिखना आदि
5. प्रकाश का प्रकीर्णन (Scattering of light)-
धूल या अन्य पदार्थो के माध्यम में आ जाने पर प्रकाश का सभी दिशाओं में असमान रूप से प्रसारित हो जाना प्रकाश का प्रकीर्णन कहलाता है
उदाहरण- आसमान का नीला दिखना
6.प्रकाश का वर्ण-विक्षेपण (Dispersion of Light)-
जब सूर्य का प्रकाश किसी प्रिज्म से होकर गुजरता है तो अपवर्तन के बाद प्रिज्म के आधार की ओर झुकने के साथ साथ विभिन्न रंगों में बंट जाता है इस प्रक्रिया को "वर्ण विक्षेपण" कहते हैं
इसमें 7 रंग होते हैं जिन्हें VIBGYOR कहते हैं इसकी चर्चा हमने पिछली पोस्ट पर की थी
7. प्रकाश का ध्रुवण (Polarisation of Light)-
ध्रुवण की घटना प्रकाश में ही होती है और सिर्फ अनुप्रस्थ तरंगों में ही , इस घटना को सम्पन्न करने में लिए तमाम प्रक्रिया अपनाई जाती है
उदाहरण- वाहनों की हेडलाइट की ऊपरी सतह को काला कर देना आदि
धन्यवाद
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