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मौर्य काल



मौर्य काल भारतीय इतिहास का महत्वपूर्ण युग है जो चंद्रगुप्त मौर्य के शासनकाल में (च. 322 ईसा पूर्व - 185 ईसा पूर्व) था। इस काल में भारत ने पूर्वी और दक्षिण एशिया में एक महत्वपूर्ण साम्राज्य की नींव रखी और विविध क्षेत्रों में विकास किया।


मौर्य काल की मुख्य घटनाएँ और विशेषताएँ:


1. चंद्रगुप्त मौर्य का उदय:-चंद्रगुप्त मौर्य, मौर्य साम्राज्य की स्थापना करने वाले राजा थे। उन्होंने भारत के बड़े हिस्से को एकत्र किया और नंद साम्राज्य के शासक धनानंद को पराजित किया।


2. चंद्रगुप्त मौर्य का अशोक द्वारा उत्तराधिकार:-चंद्रगुप्त के पुत्र अशोक ने सिसिली, यूनान, और भारत के बड़े हिस्से को अपने अधिकार में किया और मौर्य साम्राज्य का विस्तार किया।


3. अशोक का धर्म प्रचार:-अशोक द्वारा बौद्ध धर्म का प्रचार और बोधिसत्व मित्र के साथ धार्मिक संदेश का प्रसार हुआ। वह अपने धार्मिक संदेशों को प्रसिद्ध एडिक्ट्स (अशोक की अधिकृत इंस्क्रिप्शन) के माध्यम से फैलाएं।


4. पाटलिपुत्र (मॉडर्न पटना) का स्थापना:- मौर्य साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र (नवीन पटना) के रूप में स्थापित की गई।


5. अर्थशास्त्र का कौटिल्य (चाणक्य):- चाणक्य मौर्य साम्राज्य के चंद्रगुप्त मौर्य के मंत्री और उपदेशक थे जिन्होंने अर्थशास्त्र के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किए और "अर्थशास्त्र" नामक ग्रंथ लिखा।


6. मौर्य साम्राज्य का अंत:- मौर्य साम्राज्य का अंत कुमारगुप्त (चंद्रगुप्त मौर्य के पोते) के शासनकाल में हुआ।


मौर्य काल ने भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण दशक की शुरुआत की और इसके बाद कई साम्राज्यों की उत्थान हुई। इसके साथ ही बौद्ध और जैन धर्मों का प्रचार भी हुआ


■ मौर्य काल के प्रमुख राजा निम्नलिखित थे:


1. चंद्रगुप्त मौर्य (चंद्रगुप्त मौर्य I):-चंद्रगुप्त मौर्य, मौर्य साम्राज्य के संस्थापक और पहले सम्राट थे। उन्होंने नंदन साम्राज्य के शासक धनानंद को पराजित किया और मौर्य साम्राज्य की नींव रखी।


2. बिंदुसार (चंद्रगुप्त मौर्य II):-बिंदुसार, चंद्रगुप्त मौर्य के पुत्र, ने अपने पिता के बाद साम्राज्य का शासन किया। उनके शासनकाल में मौर्य साम्राज्य का विस्तार हुआ और बौद्ध धर्म का प्रसार हुआ।


3. अशोक मौर्य:-अशोक मौर्य, बिन्दुसार के पुत्र, एक प्रमुख और शांतिप्रिय सम्राट थे। उनके शासनकाल में मौर्य साम्राज्य अपने शिखर पर था और उन्होंने बौद्ध धर्म का प्रचार किया।


4. कुणाल (कुमार कुणाल):-कुणाल अशोक के पुत्र थे और उनके शासनकाल के बाद मौर्य साम्राज्य का अंत हुआ।


● मौर्योत्तर काल-

 मौर्योत्तर काल भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण काल है जो मौर्य साम्राज्य के अशोक सम्राट के शासनकाल के बाद आता है। यह काल सम्राट दशरथ और सम्राट बृहद्रथ के आदिकाल को संकेत करता है, और इसके बाद भारतीय इतिहास में कई छोटे और महत्वपूर्ण राजवंशों का उदय हुआ।


मौर्योत्तर काल की मुख्य विशेषताएं और घटनाएँ:


1.सम्राट दशरथ:-सम्राट दशरथ अशोक के पुत्र थे और उनके शासनकाल में भारत के विभिन्न हिस्सों में छोटे राज्यों का उदय हुआ।


2. सम्राट बृहद्रथ:- सम्राट बृहद्रथ दशरथ के पुत्र थे और उनके शासनकाल में मौर्य साम्राज्य का उत्थान हुआ। उन्होंने पाटलिपुत्र (नवीन पटना) को अपनी राजधानी बनाया और सम्राट बृहद्रथ का उपनाम "आमित्रवर्मन्" था।


3. शुंग वंश:-मौर्योत्तर काल के बाद, शुंग वंश ने मौर्य साम्राज्य की विशाल भूमि के बड़े हिस्सों को अपने अधीन किया। सम्राट पुष्यमित्र शुंग ने इस वंश का नेतृत्व किया और वह बौद्ध धर्म के समर्थक थे।


4. इंडो-ग्रीक राजवंश:- मौर्योत्तर काल के दौरान, इंडो-ग्रीक राजवंश भी भारत में प्रभावी थे। सम्राट मेनांदर और मिलिंद इंडो-ग्रीक राजा थे जो भारतीय धर्मों के प्रश्नों पर विचार करते थे।


5. कनिष्क का समय:-मौर्योत्तर काल के अंत में, कुषाण वंश के सम्राट कनिष्क भारत में शासन करने लाए और उन्होंने बौद्ध और जैन धर्मों को प्रमोट किया।


मौर्योत्तर काल ने भारतीय इतिहास के इस महत्वपूर्ण दशक की दिशा में कई महत्वपूर्ण घटनाओं को प्रारंभ किया, और इसके बाद के काल में भारत के इतिहास में कई महत्वपूर्ण घटनाएँ हुईं।

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