कोण (Angle)-
किसी किरण OA को इसकी प्रारंभिक रेखा से स्थिर बिंदु O के परितः घुमाने पर अंतिम रेखा OB पर पहुँचती है तो प्रारंभिक रेखा तथा अंतिम रेखा के मध्य एक कोण बनता है जिसे Angle AOB कहते है
कोण मापन की पद्धतियां-
इस पद्धति में अंश को ° , मिनट (') तथा सेकंड ('') से प्रदर्शित करते है
1 समकोण= 90°
1° =60' =60 मिनट
1'= 60'' =60 सेकंड
कोण = चाप/त्रिज्या
= l/r
1 रेडियन= 57°16'21''
किसी कोण की माप को रेडियन अंश में बदलना हो तो माप में 180°/π से गुणा करते है तथा π के स्थान पर 180° रखकर हल करते है
त्रिकोणमिति अनुपातों के चिन्ह-
● प्रथम चतुर्थांश-
जब किसी कोण का मान 0° से 90° तक होता है तो वह प्रथम चतुर्थांश में कहा जाता है प्रथम चतुर्थांश में सभी त्रिकोणमितीय अनुपातों के चिन्ह सदैव धनात्मक होते है
● द्वितीय चतुर्थांश-
जब किसी कोण का मान 90° से 180° तक हो जाता है तो वह द्वितीय चतुर्थांश में कहा जाता है इस चतुर्थांश में sin और cosec के चिन्ह धनात्मक होते है परंतु अन्य सभी के चिन्ह ऋणात्मक होते है
● तृतीय चतुर्थांश-
जब किसी कोण का मान 180° से 270° तक होता है तो वह तृतीय चतुर्थांश में कहा जाता है इस चतुर्थांश में केवल tan और cot के चिन्ह धनात्मक होते है परंतु अन्य सभी के चिन्ह ऋणात्मक होते है
● चतुर्थ चतुर्थांश-
जब किसी कोण का मान 270° से 360° तक होता है तो वह चतुर्थ चतुर्थांश में कहा जाता है इस चतुर्थांश में केवल cos और sec के चिन्ह धनात्मक होते है परंतु अन्य सभी ऋणात्मक होते है
इसे short में ASTC से याद रख सकते है
त्रिकोणमितीय अनुपात-
किसी समकोण त्रिभुज में दिए गए कोण की सम्मुख भुजा लंब (L), समकोण की सम्मुख भुजा कर्ण (K) तथा अन्य भुजा आधार (A) कहलाती है
पाइथागोरस प्रमेय से-
(कर्ण)2 = (लम्ब)2 + (आधार)2
अर्थात K2 = L2 + A2
किसी त्रिभुज के लिए उसके लंब, आधार तथा कर्ण के लिए परस्पर सम्बन्धो को निरूपित करने के लिए त्रिकोणमिति अनुपातों का प्रयोग करते है
त्रिकोणमितीय अनुपात तथा उनके परस्पर सम्बन्ध निम्न है-
(i). Sinθ= लंब/कर्ण = L/K
(ii). Cosθ= आधार/कर्ण= A/K
(iii). tanθ= लंब/आधार = L/A
(iv). Cotθ= आधार/लंब= A/L
(v). Secθ= कर्ण/आधार= K/A
(vi). Cosecθ= कर्ण/लंब=K/L
इसे short form में LAL/KKA से निकालते है
त्रिकोणमितीय अनुपातों में सम्बन्ध-
● Sinθ=1/Cosecθ
● Cosecθ= 1/Sinθ
● SinθCosecθ=1
● Cosθ= 1/Secθ
● Secθ= 1/Cosθ
● CosθSecθ=1
● tanθ= 1/cotθ
● cotθ= 1/tanθ
● tanθcotθ=1
● tanθ= Sinθ/Cosθ
● cotθ=cosθ/sinθ
त्रिकोणमितीय सर्वसमिकाए-
● Sin2θ+Cos2θ=1
● 1+tan2θ=Sec2θ
● 1+tan2θ= Cosec2θ
विभिन्न त्रिकोणमितीय अनुपातों के लिए मानक कोणों की माप-
इसको निकालने व याद रखने का short formula बताता हूँ-
सबसे पहले ये याद रखो sin का उल्टा cos, tan का उल्टा cot व sec का उल्टा cosec होता है
0°,30°,45°,60° व 90° के मान निकालने होते है
सबसे पहले sin लिखकर 0,30,45,60 व 90 के नीचे 0,1,2,3,4 लिख लो फिर सबमें 4-4 का भाग देकर वर्गमूल निकालो तो क्रमशः 0, ½,1/√2, √3/2 व 1 आएगा जो कि Sin का हो गया अब इसको पलट दो 0 वाला 90 का हो जाएगा 30 वाला 60 का तो cos का आ जायेगा फिर tan का निकालो sin/cos करके….धीरे धीरे करके सबके निकल आएंगे व याद नही करने पड़ेंगे
ऋणात्मक कोणों के त्रिकोणमितीय अनुपात-
● Sin (-θ)= -Sinθ
● Cos (-θ)= Cosθ
● tan (-θ)= -tanθ
● Cosec (-θ)= -Cosecθ
● Sec(-θ)=Secθ
● Cot (-θ)=-Cotθ
दो कोणों के लिये त्रिकोणमितीय अनुपातों के योग/अंतर के सूत्र-
● Sin (A★B)=SinACosB★CosASinB
● Cos(A★B)=CosACosB★SinASinB
उपरोक्त दोनो formula में जैसा चिन्ह रखोगे वो दोनो side रखना पड़ेगा
● Tan(A★B)=tanA★tanB/1★tanA. tanB
इसमें अगर A+B निकालोगे तो नीचे negative रहेगा अगर A-B निकालेंगे तो ऊपर positive रहेगा
● Cot (A★B)= CotACotB★1/CotB★CotA
इसमें अगर postive है तो ऊपर negative रहेगा
● Sin(A+B)Sin(A-B)=Sin2A-Sin2B= Cos2B-Cos2A
● Cos(A+B)Cos(A-B)=Cos2A-Sin2B=
Cos2B-Sin2A
● Tan(A+B+C)=tanA+tanB+tanC-tanAtanBtanC/1-tanAtanB-tanBtanC-tanAtanC
त्रिकोणमितीय अनुपातों के गुणनफल को योग या अंतर में रूपांतरित करने वाले सूत्र-
●2SinASinB=Sin(A+B)+Sin(A-B)
●2CosASinB=Sin(A+B)-Sin(A-B)
●2CosACosB=Cos(A+B)+Cos(A-B)
●2SinASinB=Cos(A-B)-Cos(A+B)
त्रिकोणमितीय अनुपातों के योग या अंतर को गुणनफल में रूपांतरित करने वाले सूत्र-
● SinC+SinD=2Sin(C+D/2)Cos(C-D/2)
● SinC-SinD=2Cos(C+D/2)Sin(C-D/2)
● CosC+CosD=2Cos(C+D/2)Cos(C-D/2)
● CosC-CosD=2Sin(C+D/2)Sin(D-C/2)
महत्वपूर्ण formula-
● Sin2θ=2SinθCosθ=2tanθ/1+tan2θ
● Cos2θ=Cos2θ-Sin2θ=1-Sin2θ=2Cos2θ-1
ऊंचाई और दूरी-
◆ उन्नयन कोण-
जब कोई वस्तु दर्शक की आंख की क्षैतिज रेखा से ऊपर स्थित है तो दर्शक को उस वस्तु को देखने के लिए अपने सिर को ऊपर उठाना पड़ता है इस प्रक्रिया में दर्शक की दृष्टि रेखा क्षैतिज रेखा से एक निश्चित कोण बनाती है इस कोण को वस्तु का उन्नयन कोण कहते है
◆ अवनमन कोण-
यदि कोई वस्तु दर्शक की आंख की क्षैतिज रेखा से नीचे की ओर स्थित है तो दर्शक को उस वस्तु को देखने के लिए अपने सिर को नीचे झुकाना पड़ता है इस प्रक्रिया में भी दर्शक की दृष्टि रेखा क्षैतिज रेखा से एक निश्चित कोण नीचे की ओर बनाती है इस कोण को वस्तु का अवनमन कोण कहते है इसे अवनत कोण या अवनति कोण कहते है
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