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गणित शिक्षणशास्त्र

 


गणित अधिगम के पक्ष- तीन पक्ष

1.प्रकार्यात्मक
2.अनुशासनिक (विद्या शाखा) और
3.सांस्कृतिक पक्ष

प्रकार्यात्मक पक्ष-
जोड़, घटाना, गुणा तथा भाग से संबंधित संख्याओं, भिन्नों और दशमलों का परिकलन
प्रतिशत/ अनुपात
सारणी/ ग्राफ पठन
आकलन/ संख्याओं का निकटन
मापन और उसके लिये अकरणों का प्रयोग
सांख्यिकी
स्थानिक संबंध- ज्यामितीय रचनाएँ
पाइथागोरस संबंध
बीजीय प्रतीकवाद
दैनिक जीवन में प्रयुक्त सूत्र

अनुशासनिक पक्ष-
गणित शिक्षण से शिक्षार्थियों में वास्तुनिष्ठता, तार्किक दृष्टिकोण, विश्लेषात्मक चिंतन योग्यता, वैज्ञानिक स्वभाव, सौंदर्यशास्त्र का अभिज्ञान और रसबोध जैसी विशेषज्ञ अभिवृत्तियों एवं अनुभूतियों का सृजन किया जा सकता है

सांस्कृतिक पक्ष-
गणित सांस्कृतिक विरासत से जुड़ा है

गणित शिक्षण के प्राप्य उद्देश्य :

ज्ञानात्मक उद्देश्य-
[ छात्रों को प्रत्ययों, तथ्यों, पदों, चिन्हों तथा इन पर आधारित नियमों का चयन करना होता है】
[ पदो, प्रत्ययों तथा नियमों एवं सिद्धांतो का पूर्ण स्मरण व पहचानना】

अवबोधात्मक उद्देश्य-
【 छात्र गणित से संबंधित पदों, तथ्यो, प्रत्ययो एवं संकेतो का अवबोध करता है】
【सूत्र, सिद्धांतो का प्रयोग, तुलना व भाषा से अभिव्यक्त】

अनुप्रयोगात्मक उद्देश्य-
[ समस्याओं को हल, नवीन निर्णय लेने हेतु विकास करना]
【आकड़ो की सहायता सामान्यीकरण कर नये नियम
बना सकेगा 】

कौशलात्मक उद्देश्य-
[ गणितीय आरिख, रेखाचित्र, ग्राफ खींचना, यंत्रों का उचित प्रयोग, गणना कार्य, छुटि/ संशोधन】
[ यंत्रो का नाम, उचित उपयोग, गणितीय मॉडल बना सकेगा ]

अभिवृत्यात्मक उद्देश्य-
【सोचने-विचारने, निरीक्षण करने परीक्षण करने, परीक्षण करके पुनः गणना कर सही निर्णय लेने की दक्षता विकास गणित की वृद्धि है】

अभिरुचियात्मक उद्देश्य-
[ संग्रह करने की प्रवृत्ति, गणितीय आकृति (मॉडल) की निर्मित करने तथा उनका संग्रह करने की प्रवृत्ति का विकास】
【 पत्रिकाएं,प्रयोगशाला स्तर की पत्रिकाओं को प्रकाशित विज्ञान मेला, गणित क्लब सिम्पोजियम में भाग ले सकेगा】

सहायक सामग्री-

● गिनतारा (अबेकस) -
"गणक सांचा/ गणन उपकरण, तारों पर बंधे मोतियों वाले एक बांस फ्रेम के रूप में दिखाई पड़ता है"
नेत्रहीन बालको के लिये उपयोगी, स्थानीय मान, जोड़, घटाना

● जियो बोर्ड -
"खुली व बंद आकृति सिखाने लकड़ी का एक आयताकार चौखटा जिस पर बराबर दूरी पर कीलें लगी रहती है "रबर बैंड या धागे का इस्तेमाल करके गतिविधियों, 2D आकृति

● ग्रिड पेपर / संख्या चार्ट -
दशमलव संख्याओं को लिखने स्थानीय मान ( दशमलव संख्या)

● ग्राफ पेपर -
2D को समझने में क्षेत्रफल, परिमाप समझने

● डॉट पेपर/ बिन्दुशीट-
ज्यामितीय संकल्पनाओं को समझने में ज्यामितीय आकृति की सममिति जानना

● डाइन्स ब्लॉक -
गणितीय संक्रियाओं में

● Tangram -
ज्यामितीय आकृति की जानकारी, चित्र के माध्यम से पहेलियों व खेल के माध्यम से
इसमें 07 आकृति होती है 05 त्रिभुज, 1 वर्ग व एक समान्तर चतुर्भुज होता है।

विभिन्न तथ्य-
● विभिन्न वस्तुओं को उन्हीं का नाम देना ही गणित है- हेनरी पायंकर
● बर्थलॉट ने गणित विषय को भौतिक विषय का आवश्यक उपकरण माना है
● गणित में स्पष्ट, तार्किक व क्रमबद्ध ज्ञान होता है
● "गणित विज्ञानों का प्रवेश द्वार है"-रोजर बैकन
● गणित के विस्तृत विज्ञान को एक क्रम से संग्रह करने मात्र का नाम ही "गणित का पाठ्यक्रम" है
● गणित तार्किक विचारों का विज्ञान है
● गणित गणनाओं का विज्ञान है
● यह आगमनात्मक तथा प्रायोगिक विज्ञान है
● गणित के अध्ययन से मस्तिष्क में तर्क करने की आदत विकसित होती है
● 'गणित सभी विज्ञानों का सिंह द्वार व कुंजी है"- रोजर बेकन
● गणित को मस्तिष्क का व्यायाम कहा जाता है।
● गणित सभ्यता और संस्कृति का दर्पण है- गणितज्ञ हॉगवेन
● उच्च प्राथमिक स्तर पर गणित शिक्षण का सर्वाधिक महत्व व्यवहारिक रूप से है
● गणित की सर्वप्रथम विकसित शाखा-अंकगणित
● सामुदायिक गणित अंकगणित में अन्तःनिहित होता है
● कोठारी आयोग के अनुसार, मूल्यांकन सतत प्रक्रिया है
● महोदय समरफील्ड ने मूल्यांकन की आठ मान्यताएं है
● सामान्यतः गणित सीखना कठिन है क्योंकि इसकी प्रकृति अमूर्त है
● अमूर्त गणित के अधिगम का प्रथम चरण प्राथमिक स्तर पर प्रारम्भ होता है
● बीजगणितीय सूत्र का अधिगम व्यापीकरण है
● NCF 2005 के अनुसार, गणित शिक्षण बाल केंद्रित होना चाहिए
● NCF 2005 करके सीखने पर बल देता है

■ मूल्यांकन के सोपान-03
1.शिक्षण उद्देश्यों का निर्धारण
2.अधिगम अनुभव की योजना बनाना
3. व्यवहार परिवर्तन

■ गणितीय चिंतन-
● अभिसारी-बन्द अंत वाले प्रश्न
● अपसारी-खुले या मुक्त अंत वाले प्रश्न

■ पोर्टफोलियो-"बालक से समग्र व्यक्तित्व का आकलन"

■ मूल्यांकन-मापन+निर्णय

★ गणित की शिक्षण 【अध्यापन】 विधियां-

● आगमन विधि-
उदाहरणों के माध्यम से नियम निकलवाये जाते हैं
सूत्र-
ज्ञात से अज्ञात की ओर
विशिष्ट से सामान्य की ओर
स्थूल से सूक्ष्म की ओर

● निगमन विधि-
पहले नियम बता दिया जाता है फिर उदाहरण प्रस्तुत किया जाता है
सूत्र-
अज्ञात से ज्ञात की ओर
सामान्य से विशिष्ट की ओर
सूक्ष्म से स्थूल की ओर
सिद्धांत से उदाहरण की ओर

● विश्लेषण विधि-
किसी तथ्य या समस्या को टुकड़ों में विभाजित कर दिया जाता है

● संश्लेषण विधि-
जीवित खंडों को मिलाकर उसका हल प्रस्तुत किया जाता है






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