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मंदिरों के प्रकार


मंदिरों की शैलियां विविधता से भरी होती हैं। भारतीय संस्कृति में विभिन्न क्षेत्रों में अनेक प्रकार के मंदिर हैं, जिनमें वास्तुकला, स्थापत्य शैली, और स्थानीय संस्कृति का प्रभाव नजर आता है। कुछ मंदिर होते हैं जिनमें नगर शैली की सुंदरता होती है, जबकि कुछ मंदिर द्रविड़ शैली में बने होते हैं जो प्यारे और शिल्पीय अंतर्निहितता से भरे होते हैं। ये शैलियां मंदिरों के विभिन्न स्वरूपों और विशेषताओं को दर्शाती हैं


तीन शैली-

● नागर शैली-

नागर शैली एक प्रमुख हिन्दू मंदिर शैली है जो भारतीय वास्तुकला में प्रमुख स्थान रखती है। इस शैली के मंदिर उच्च शिखरों, विस्तृत आंगनों, और शृंगार पूर्ण संरचना के लिए प्रसिद्ध हैं। नागर शैली के मंदिरों में मुख्य देवता के लिए गोपुरम (मुख्य प्रवेश द्वार) और महामंडप (मुख्य सभागार) की विशेषता होती है। इन मंदिरों का निर्माण पत्थर, मार्मर, और अन्य संरचनात्मक सामग्री से किया जाता है


● बेसर शैली-

बेसर शैली मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कुछ प्राचीन मंदिरों की शैली को दर्शाती है। इस शैली के मंदिर में उन्नत विशेषताएँ होती हैं, जैसे कि विस्तृत आंगन, ध्वजस्तम्भ, और रोचक शिखर। इन मंदिरों का निर्माण पत्थर या पूंजी शैली में होता है, जिनमें पत्थर के टुकड़ों का उपयोग होता है। बेसर शैली के मंदिर अपनी आकृति और शैली में अनूठे होते हैं


● द्रविड़ शैली-

द्रविड़ शैली के मंदिर भारतीय संस्कृति में एक अन्य प्रमुख मंदिर शैली हैं। ये मुख्य रूप से दक्षिण भारत के तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल, और कर्नाटक में पाए जाते हैं। इन मंदिरों की पहचान वृद्धि की गई शिखरों, छोटे आंगनों और भव्य गोपुरमों से होती है। ये मंदिर अक्सर शिल्पीयता और विस्तृतता में समृद्ध होते हैं और अक्सर रंगीन शिखरों से आभूषित होते हैं। द्रविड़ शैली के मंदिर संरचनात्मक दृष्टि से अत्यंत विशेष होते हैं।

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